Diya Jethwani

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लेखनी कहानी -17-Oct-2022... एक विवाह ऐसा भी..

गायत्री.... जा जल्दी से अंबा को लेकर आ....। 


हां... भाभीसा...। 

अंबा.... चल.... बाहर भुला रहे तुझे...। 

काकीसा..... मुझे नहीं जाना बाहर....आप मां सा को बोलो ना..... मुझे यहीं रहना हैं...। 

अंबा.... बेटा अभी थोड़ी ना वो लोग तुम्हें लेकर जाएंगे..... अभी तो वो सिर्फ रिश्ता पक्का करने आए हैं.... । 

लेकिन काकीसा..... मुझे कभी भी किसी के घर जाना ही नहीं हैं... मुझे यहीं रहना...। 

अंबा.... हर लड़की को एक ना एक दिन जाना ही पड़ता हैं...। मैं भी तो आई थीं ना.... भाभीसा भी आई थीं....। ये तो सदियों से चली आ रहीं रीत हैं....। लड़की को शादी करके जाना ही पड़ता है...। चल अभी जल्दी चल.... नहीं तो भाईसाब गुस्सा करेंगे...। आजा.... ये घुंघट थोड़ा आगे कर ले और ये चाय लेकर चल...। 


अंबा अपनी चाची के साथ घुंघट ओढ़े चाय की केतली लेकर बाहर मुख्य कमरे तक आई.... जहाँ करीब दस बारह लोग पहले से बैठे हुवे थे...। जिसमें अंबा के पेरेंट्स...उसके काका... उनके दो बच्चों के अलावा.... गाँव का मुखिया... जो यह रिश्ता लेकर आया था..। उन सब के अलावा पांच लोग लड़के वालो की तरफ़ से भी थे...। 

अंबा को लड़के के पास एक कुर्सी पर बिठाया गया...। फिर दोनों तरफ के लोग... लेन देन और बाकी सभी बातचीत करने लगे...। इस बीच अंबा जो की चुपचाप कुर्सी पर बैठे सभी की बातें सुन रहीं थीं... उसे घुंघट में बहुत घुटन सी महसूस हो रहीं थीं.. उसने मौका देखकर अपना घुंघट उठाया और पास बैठे अपने होने वाले पति से बोलीं:- तुमको इतने भारी कपड़ों में घुटन नहीं लगतीं क्या... मेरी तो हालत खराब हो गई... अरे हटा दो ये साफा़....। 

लड़के ने अंबा की तरफ़ देखा ओर कहा :- नहीं हटा सकता... बाबा ने देख लिया तो घर जाकर मेरी चटनी बना देंगे...। अच्छा खासा मैच था आज मेरा... यहाँ आकर बुत बनाकर बिठा दिया हैं...। 

मेरा भी यहीं हाल हैं... आज मेरी गुड़िया को शहर जाना था... उसका कालेज का पहला दिन था...। मुझे तो बहुत गुस्सा आ रहा हैं बाबा पर....। 

सुन जल्दी से घुंघट डाल दे... किसी ने देख लिया तो डांट पड़ जाएगी..। 

अरे हां.... मुझे तो ध्यान ही नहीं रहा..। एक काम कर ना.... तु मना कर दे...। 

नहीं कर सकता... बाबा ने घर पर ही बोल दिया था.. । तुझे नहीं देखता तो भी हां ही बोलना पड़ता..। पिछले एक घंटे से पुतला बनाकर बिठा दिया हैं..। दिल तो करता हैं भाग जाऊँ यहाँ से..। 

भागेगा कैसे... तुझे गाड़ी चलानी आतीं हैं.. (अंबा ने मजाक करते हुवे बोला) 

अभी तो नहीं आतीं.... लेकिन जिस दिन सीख गया ना पक्का भाग जाऊंगा.। 

(उन दोनों की आपस में हो रही बातचीत से इतना तो पक्का पता चल रहा था की दोनों इस रिश्ते से बिल्कुल भी खुश नहीं थे...। वजह आप समझ ही गए होंगे..) 


कुछ देर बाद सभी की रजामंदी से अंबा का घुंघट खोला गया जो की सिर्फ एक तरह की औपचारिकता ही थीं...। जबकि रिश्ता तो दहेज और खानदान के मुताबिक पहले ही तय हो चुका था..। सभी ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर बधाईया दी और अंबा का रिश्ता तय कर दिया गया...। 

सगाई की रस्म की गई और कुछ दिनों में ही शादी भी कर दी गई..। लेकिन चुंकि वो अभी बालिग नहीं थी इसलिए उसे मायके में भी रखा गया..। अभी उम्र ही क्या थीं उसकी सिर्फ बारह साल..। सोलह साल की होने तक उसे मायके में रहना था फिर उसका गोना करके ससुराल में भेजना था..। तब तक उसे घर के सारे काम सीखने थे.... ससुराल में रहने और सभी को खुश करने के तरीके सीखने थे..। 

ये हमारे देश में सदियों से चली आ रहीं एक परंपरा हैं ..... बाल विवाह...। जिस पर सरकार चाहे कितनी ही रोक लगाए... कितने ही कानून बनाए पर.. आज भी ना जाने कितने मासूम इस प्रथा का शिकार होते हैं...।आज भी आखातीज़ पर इस कानून का धड़ल्ले से उलंघन होता हैं.....। बड़ी संख्या में इस दिन छोटे छोटे बच्चों को परिणय बंधन में बांधा जाता हैं...। गुड्डे गुड़िया के साथ खेलने की उम्र में उन्हें घर के काम काज में लगा दिया जाता हैं..। अंबा भी इसी रीत और रिवाज की भेंट चढ़ा दी गई थीं...। 

सिर्फ अंबा नहीं ऐसे मासूम हर क्षेत्र में, हर गांव में आसानी से मिल जाते हैं...। यह कितना सही और कितना गलत हैं इस पर विचार विमर्श करने पर हर कोई अपना अलग अलग मत देगा...। लेकिन सवाल बहस करने का नहीं बल्कि सही और गलत का हैं....। सोचिये और विचार किजिए...।। 


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5 Comments

Gunjan Kamal

22-Oct-2022 08:06 PM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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Shnaya

21-Oct-2022 06:39 PM

शानदार

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Supriya Pathak

20-Oct-2022 12:59 AM

Bahut khoob 💐👍

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